tag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post6783956099529775666..comments2023-10-31T20:08:40.528+05:30Comments on क़िस्सागोई...: ये क्या मृणाल जी...!Rajiv K Mishrahttp://www.blogger.com/profile/09974292687973179356noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-78338806667784489372009-05-16T17:41:00.000+05:302009-05-16T17:41:00.000+05:30in maamlo mein to..truti k liye khed athwa bhul su...in maamlo mein to..truti k liye khed athwa bhul sudhaar ' jaisi baatein bhi chapti agle din....patrakarita se juda hua ek mahatvapurna tathya..''naitik zimmedaari'' kahin lupt sa ho gaya lagta hai....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-57389470015184971092009-05-15T12:57:00.000+05:302009-05-15T12:57:00.000+05:30जितना बड़ा अखबार,जितना बड़ा पत्रकार उतना मज़बूर उतना ...जितना बड़ा अखबार,जितना बड़ा पत्रकार उतना मज़बूर उतना लाचार्।यंहा रायपुर से आज़ादी से पहले से निकल रहे सांध्य दैनिक अग्रदूत का मैं उल्लेख करना चाहूंगा कि उसके रिपोर्टर शालिगराम शर्मा की मौत पर अखबार मालिक श्री विष्णु सिन्हा ने उस दिन अखबार का प्रकाशन नही किया था।ये थी सच्ची श्रद्धांजलि एक पत्रकार को उसके मालिक की।संभवतयाः मैने ऐसा उदाहरण दूसरा नही देखा है।वैसे आपसे सहमत हूं पत्रकारो को किसी भी मुगालते मे नही रहना चाहिये।जयंत को हमारी भी श्रद्धांजलि।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-8080826682062983382009-05-14T12:23:00.000+05:302009-05-14T12:23:00.000+05:30हिन्दुस्तान ने लिखा 'पत्रकार की पहचान जयंत कुमार क...हिन्दुस्तान ने लिखा 'पत्रकार की पहचान जयंत कुमार के रूप में की गई है", शुक्र है हिंदुस्तान ने अपने अख़बार में काम करने वाले पत्रकार की पहचान तो की, कही ऐसा न होता की वह लिख देता पत्रकार की पहचान नहीं हो पाई है. शर्म आती है ऐसे पेसे पर जहाँ ...क्या लिखू समझ नहीं आ रहा है.Manojhttps://www.blogger.com/profile/13642229063189369956noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-44654728281594788992009-05-14T10:32:00.000+05:302009-05-14T10:32:00.000+05:30दुखद खबर। अखबार का रवैया और भी दुखद।दुखद खबर। अखबार का रवैया और भी दुखद।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09390660446989029892noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-29554652669838799172009-05-12T23:27:00.000+05:302009-05-12T23:27:00.000+05:30देख लीजिये ....आपके यहाँ की राजनीती के नमून...देख लीजिये ....आपके यहाँ की राजनीती के नमूने है यह सब ..<br />वो भी खुले आम ...और आप जैसे न जाने कितने Journalist इसे पढ़कर अफ़सोस जता रहे है ..और खुद को <br />मजबूर साबित कर रहे है ..<br /><br />उन सभी पत्रकारों के लिए, जो अपनी-अपनी संस्थाओं के नामों का दंभ भरते हैं।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-26306069334221753252009-05-12T23:16:00.000+05:302009-05-12T23:16:00.000+05:30hum majdoor hain aur majdooron ke maut ka gam koi ...hum majdoor hain aur majdooron ke maut ka gam koi nahin karta.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-50405060281669150752009-05-12T19:05:00.000+05:302009-05-12T19:05:00.000+05:30मृणाल जी
शिवानी के देह पर
मंदोदरी की खाल जी.........मृणाल जी<br />शिवानी के देह पर <br />मंदोदरी की खाल जी......<br />ढोल की पोल<br />पत्रकारिता के अभयारण्य में<br />भरतिया की रुमाल जी.......<br /><br />जयंत की अकाल मृत्यु पर हम सब शोक संतप्त.मुंहफटhttps://www.blogger.com/profile/08368420570289784107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-45046350815427644742009-05-12T14:29:00.000+05:302009-05-12T14:29:00.000+05:30RAJIV BHAI कम से कम एक पत्रकार होने के नाते मृणाल...RAJIV BHAI कम से कम एक पत्रकार होने के नाते मृणाल जी से ऐसी उम्मीद नहीं थी सच <br />में देखा जाय तो भावना या संवेदना नाम की चीज़ बाज़ार की बलि चढ़ गयी है . <br /><br />मैंने जो पत्रकारिता में कदम रखा है , कहीं न कहीं उनकी लेखनी का बहुत योगदान रहा है <br />लेकिन अब तो ...... सब बाज़ार है और बाज़ार में अब अच्छी चीज़ क्या है अब सबको मालूम है<br />MUKESH jhaAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-2754685910617183862009-05-12T13:41:00.000+05:302009-05-12T13:41:00.000+05:30जयंतजी के परिवार के साथ
हमारी संवेदनाएंजयंतजी के परिवार के साथ <br />हमारी संवेदनाएंराजीव जैनhttps://www.blogger.com/profile/07241456869337929788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-61804865812029831762009-05-12T10:22:00.000+05:302009-05-12T10:22:00.000+05:30जयंत के परिवार के लिए हार्दिक संवेदनाएं।
अरविंद ज...जयंत के परिवार के लिए हार्दिक संवेदनाएं।<br /> अरविंद जी ने सही कहा है कि सिर्फ लीगल लाइबेलिटी से बचने के लिए नाम नहीं दिया गया होगा।<br />इतने संवेदनशील मसले पर टिप्पणियों से ही यह जाहिर हो जाता है कि समाज में गोलबन्दी तीखी होती जा रही है। एक तरफ पूंजी की सत्ता के तलवाचाटू हैं दूसरी तरफ अपनी इंसानी गरिमा को बचाने की कोशिश करने वाले लोग।<br />वैसे जयंत के साथ अकेले ऐसा नहीं हो रहा है। क्या हमारी संवेदनाएं तब नहीं जागती हैं जब दिल्ली और आसपास की फैक्ट्री में बॉयलर फटने से मरे मजदूर के परिवार को 2,000 रूपल्ली देकर भगा दिया जाता है। दिल्ली मेट्रो के ठेका मजदूरों ने न्यूनतम मजदूरी मांगी तो उन्हें तिहाड़ भिजवा दिया गया। दोस्त जो नीचे होगा वहीं ऊपर तक आएगा। इंतजार कीजिए इससे बहुत ज्यादा बुरे दिन अभी पत्रकारों को देखना बाकी है....Kapilhttps://www.blogger.com/profile/15871506466698035418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-28889697574175575172009-05-12T07:57:00.000+05:302009-05-12T07:57:00.000+05:30मुझे तो सीधी सी बात लगे है -हिन्दुस्तान टाईम्स मृत...मुझे तो सीधी सी बात लगे है -हिन्दुस्तान टाईम्स मृतक की कोई लीगल जिम्मेदारी न वहां कर ले -इसलिए ही यह सवधानी ! <br />हो सकता हो वे वहां फुल टाइमर न रहे हों ! अब इन मामलों में मृणाल की औकात ही क्या है ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-23561970553379868472009-05-12T06:25:00.000+05:302009-05-12T06:25:00.000+05:30यहां कई तकनीकों से गुज़र कर हिन्दी लिखी जाती है। छ...यहां कई तकनीकों से गुज़र कर हिन्दी लिखी जाती है। छिद्रान्वेषी इस हिन्दी को आलोचना से बख्शें।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-59077325017342662192009-05-12T06:24:00.000+05:302009-05-12T06:24:00.000+05:30दिवंगत आत्म के मोक्ष की कामना करते हुए इतना ही कहन...दिवंगत आत्म के मोक्ष की कामना करते हुए इतना ही कहना चाहूंगा कि इसमें मृणालजी क्या करेंगी?<br /><br />समाचार संपादक, मुख्य उपसंपादक, वरिष्ठ उपपसंपादक और उपसंपादक क्या घास खोदने चले गए थे? अब जबर्दस्ती की बातें यहां की जा रही हैं। भाषा, संस्कार सब भूल गए हम। यहां ब्लाग पर जबर्दस्ती की भावुकता परोसी जा रही है। हिन्दी की पत्रकारिता करनेवाले हिन्दी सही नहीं लिखते, वहां समाचार के प्रमुख तत्वों में से एक तत्व छूट गया तो क्या आफ़त आ गई दोस्त? यूं भी रोज़ इन्हें मानवीय भूलें कहा जाते है। हिन्दी में ज्यादा अंग्रेजी में लगभग कम। हिन्दी माध्चम से समाचार सब तक पहुंचाने की जिम्मेदारी रखनेवाले महानुभाव खुद हिन्दी के प्रति कितने गंभीर है? दैहि और नभाटा जैसे संस्थानों के कामचोर पत्रकारों से अच्छी तरह परिचित हूं बंधु.....अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-9382762187192399502009-05-11T23:13:00.000+05:302009-05-11T23:13:00.000+05:30hum logo ki aukaat hi kya hai....jo media wale ham...hum logo ki aukaat hi kya hai....jo media wale hame apne coverage me jagah de. hum to inke gulaam hai....hum to duniya bhar ki khabar likhte hai....lekin hamara koun likhege.....सुमीत के झा (Sumit K Jha)https://www.blogger.com/profile/13481361621782560543noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-29846491335889921672009-05-11T22:22:00.000+05:302009-05-11T22:22:00.000+05:30sharm aati hai ab khud ko news se juda hoova paa k...sharm aati hai ab khud ko news se juda hoova paa kar,had kar di had hoo gye ab too,har koi paise ke piche ,newspaper naam nahi likh rha ki us ke newspaper ki beizaati hoo jayegi...kya hooga???Sajid Khanhttps://www.blogger.com/profile/17695747018168095374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-42817122449856959472009-05-11T20:26:00.000+05:302009-05-11T20:26:00.000+05:30पत्रकारिता का जिस तरह से व्यवसायीकरण हो गया है ये ...पत्रकारिता का जिस तरह से व्यवसायीकरण हो गया है ये एक उदाहरण मात्र है और आपका चेताना बड़ा ही उचित लगता है, मगर ये सन्देश उनके लिए जो पत्रकारिता कर रहे हैं, नोकरी करने वाले जानते हैं की मालिक एक व्यवसायी है और अपने फायदे के लिए अपने बाप को भी पहचानने से इनकार करदे.<br />मृणाल जी की पुरानी कथनी और करनी पर उनकी नयी कथनी और करनी से उनकी समाप्त हो चली पत्रकारिता और पत्रकार का व्यवसाय करने वाली उम्दा महिला की छवि बन रही है.<br />दुखद है.<br />भाई के परिवार के साथ संवेदना.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-36481500544323677802009-05-11T20:16:00.000+05:302009-05-11T20:16:00.000+05:30राजीव, आपको ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए। कुछ लोग...राजीव, आपको ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए। कुछ लोगों को पत्रकारिता से मतलब नहीं है, वो पत्रकारिता की आड़ में कुछ और कर रहे हैं। एथिक्स, मानवीयता, और प्रोफेशनलिज्म सब पत्रकारिता के संस्थानों में ही अच्छी लगती हैं। मुझे भय है कि कहीं मृणालजी आप पर कोई मुकदमा न ठोक दें-उनकी ये आदत है।sushant jhahttps://www.blogger.com/profile/10780857463309576614noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8094397945408230814.post-34345714648550417602009-05-11T20:13:00.000+05:302009-05-11T20:13:00.000+05:30Shame!Shame!Anonymousnoreply@blogger.com