रामविलास जी का अपनी पूर्व प्रेमिका के नाम लिखा गया ख़त
डीयर डिंपू,
तुमने डेढ़ बरस तक जो मुझसे प्यार किया, उसका शुक्रिया। आशा है,पत्र मिलने तक तुमने नया प्रेमी पकड़ लिया होगा। उसके साथ अब डेटिंग पर भी जा रही होगी। हर प्रेमी को बहुत स्ट्रगल करना पड़ता है। मैं भी स्ट्रगल कर रहा हूं। प्रेम के ढाई आखर कमबख्त बड़े मुश्किल से पकड़ में आते हैं। मैंने भी तुम्हे मिस करने के बाद मुहल्ले की ही शीनो पर लंगर डालना शुरु कर दिया है। प्रेम का मेरा यह चौथा प्रयास है। लेकिन इन प्रयासों ने मुझे एक सीख दी है। डिंपू, तुम तो जानती हो कि प्रेम शुरु करते ही कमबख्त लव लेटर लिखने पड़ते हैं। पता है न,मैने तुम्हे कितने पत्र लिखे? पहले के दो प्रेम-प्रकरणों में भी लेटरबाजी करनी पड़ी। बड़ा झंझट है प्रेम मार्ग में। इसीलिए तुम मेरे समस्त प्रेम पत्र लौटा देना। तुम्हें लिखे उन प्रेम पत्रों पर सफ़ेदा पोतकर डिंपू की जगह शीनो लिख दूंगा। इससे मेरी मेहनत बच जाएगी। प्लीज़, मेरे प्रेम पत्र लौटा देना,क्योंकि उनकी फोटो कॉपी भी मेरे पास नही है।
डिंपू,तुम मेरी वह फोटो भी वापस कर देना। तुम तो जानती हो कि वही एकमात्र फोटो ऐसी है,जिसमें मै ठीक-ठाक दिखता हूं। वह मेरे पहले प्यार वाले दिनों की फोटो है। बड़ी कीमती है। मेरे प्रेम पत्रों के साथ मेरी वह फोटी भी भेज देना,ताकि शीनो को भेज सकूं।
और हां,अपने प्यार कांड में डेढ़ वर्ष के दौरान मेरे द्वारा किए गए खर्च का हिसाब भेज रहा हूं। आशा है,तुम शीघ्र ही इस खर्च का भुगतान कर भरपाई करा दोगी,ताकि तुम्हें भी नए प्यार के लिए मेरी ओर से एनओसी जारी हो सके और मैं भी नए प्यार पर खर्च करना शुरु कर दूं। हिसाब इस प्रकार है: चाट पकौड़ी 896 रुपए,कोल्ड ड्रिंक्स 2938रुपए,स्नेक्स5645रुपए, जूस3845 रुपए, फ़िल्म 1235रुपए,चैटिंग 1499रुपए,मोबाईल फोन वार्ता 2546रुपए, पेट्रोल खर्च 4255 रुपए, गिफ़्ट 7850 रुपए। सकल योग 30,708 रुपए (अक्षर में : तीस हजार सात सौ आठ रुपए मात्र)। तुम यह पैसे चेक या डीडी के द्वारा भी भेज सकती हो। हाँ चेक बाँउस न करे!
कृपया,ये रुपए मुझे शीघ्र भेजने की कृपा करना, ताकि मै अपनी शीनो के प्यार में इन रुपयों को कुरबान कर सकूं। और हां,यदि तुम्हारे पास मेरे द्वारा दिए गए गिफ़्ट पड़े हों तो मै उन्हें आधी कीमत पर खरीदने को तैयार हूं। तुम उनका हिसाब बनाकर मेरी मूल रकम में से काटकर पुराने गिफ़्टों को भी भेज देना। इस पत्र के साथ तुम्हारे पूरे चार किलो तीन सौ ग्राम के वज़न के प्रेम पत्रों का पुलिंदा संलग्न है,ताकि तुम्हे भी प्रेम पत्र लिखने में परेशानी न उठानी पड़े। तुम्हारी वह सुंदर फोटो भी मैं भेज रहा हूं,जो तुम अपने नए प्रेमी झंडामल को दे सकती हो। तुम अपना हिसाब भी बता देना। वैसे तुम्हारा खर्च तो कुछ भी नही आया होगा। तुम हमेशा अपना पर्स तो भूल जाती थी। कमबख्त प्यार मे लड़कों की ही जेब ढीली होती है। खैर, बीते प्रेम पर कैसा अफ़सोस, जब नया भी पधार चुका है? आशा है,तुम मेरा हिसाब जल्दी से जल्दी साफ़ करके मुझे नए प्यार में कूदने में मदद दोगी। तुम्हे सातवां प्रेम मुबारक हो।
तुम्हारा छठा पूर्व प्रेमी
मोती
सौजन्य: रामविलास जांगिड़ से साभार
5 comments:
राजीव भाई,
बहुत दिनों से आपसे मिलने का वक्त नहीं मिल पाया। आप खुद जानते हैं क्यों.. लेकिन वक्त कितना भी कातिल क्यों न हो जाए.. हमने जो साथ सफर शुरु किया है.. उसके हम राही तो रहेंगें ही. आपके ब्लाग के बारे में सुना.. सहज ही देखने-पढ़ने की इच्छा जगी। पहले बार में ही चित्त हो गया। रामविलास जी का खत अपनी प्रेमिका के नाम। क्या सचमुच प्यार इतना भौतिक है.. सवाल मेरा है, जवाब भी मेरे पास है.. आपकी राय जानना चाहता हूं। वैसे हमसे आपसे बहुत साल पहले महर्षि मार्क्स ने कह दिया था कि प्यार रुपांतरित आर्थिक संबंध है। लव इज़ मॉडिफाइड इकॉनमिक रिलेशन.. क्या कहते हैं..
यार अभी तुम्हारा पूरा ब्लाग पढ़ डाला. साला दूसरे ब्लॉगों पर चूतियापंती के किस्से पढ़-पढ़ के दिमाग़ चकरा रहा था। लेनिन के केशविशेषों ने मस्तिष्क का तिया-पांचा कर दिया था। कलम में इतना जादू है आपके, पहले बताया नहीं.. छुपे रूस्तम निकले गुरु.. हमें झाड़ पे चढ़ाते रहे.. खुद बताया नहीं... छा गए.. वैसे तुम्हारी लेखनी ने बड़े-बड़े बुद्धिजीवियों को हलकान कर रखा है. बधाई.
Priya Bandhuvar.....aapka Blog sugandith pakvaan ki tereh khusboo bikher raha hai. Samvaad aise ki lagta hi nahin ki padh raha hoon. Lagta hai ghatnayen saamne ghatith ho rahi hain. Bilkul fisate hue sabdon ka tana bana buna hai. Koi vichardhara ki baat nahin balki maanviya sambandhon ki saral sapat abhivyakti. Kal reporting par tha, wahan bade-bade channelon ke shoorma bhi the. Ascharya laga unke beech bhi aapki "Sweet Nothings" hit hai. Unme se kuch blogger/reporter ghabraye hue bhi the. Aise aapki lekhi Uday Prakash aur Manto se khaasi prbhavit dikhti hai.
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