टाईम्स ऑफ इंडिया के अहमदाबाद संस्करण में एक ख़बर थी। वहां बेवफ़ा टाईटल वाले कैसट्स और सीडी की मांग जोरों पर है। बेवफ़ा नं. 1, बेवफ़ा साजन, ओ बेवफ़ा, बेवफ़ा जान और भी क़रीब 15-20 टाईटल्स अभी धूम मचा रहे हैं। सोचता हूं, आख़िर ऐसी कौन सी बात है जो ट्रेजिक लव स्टोरी को हिट बना देती है। क्या, इसकी कोई मनोवैज्ञानिक व्याख्या भी हो सकती है......पता नहीं। कुछ साल पहले अताउल्ला ख़ान के कैसटों की धूम तो आपको याद ही होगा। बिक्री के तमाम रिकार्ड टूट गए थे और उनका गाना - "बेदर्दी से प्यार का सहारा न मिला" ने तो ऐसी वेब पैदा की, कि गुलशन कुमार रातों-रात कैसट किंग बन गए। चर्चा थी कि अताउल्ला ख़ान की प्रेमिका ने उन्हें धोखा दे दिया है। वह पाकिस्तान के किसी जेल में बंद हैं और सरकार ने उनके लिए सज़ा-ए-मौत मुकर्रर की है। अब जा के जान पाया हूं कि न तो ख़ान साहब को किसी प्रेमिका ने दगा किया था। न ही उन्हें फंदे पर लटकाया जाना था। आज भी मज़े में गा रहे हैं। इसी कड़ी में अगला नाम अल्ताफ़ रज़ा का है। उनकी सबसे ज़्यादा बिकने वाला टाईटल हरज़ाई के कुछ गानों पर गौर कीजिए - "तुम तो ठहरे परदेशी, साथ क्या निभाओगे" और "आँख ही न रोई है"...और भी कई हैं। आख़िर इन गानों में ऐसी क्या बात थी की हरेक गली-मुहल्ले और नुक्कड़ों पर ये ख़ूब बजे....। सच कहूं तो उस वक्त मेरी उमर न तो इश्क करने की थी, न ही किसी ने मुझे दगा दिया था। फिर मेरे आँखों में आँसुओं का सबब क्या रहा होगा....आज भी सोचता हूं।
सितारों की ऑफ़ स्क्रीन लव स्टोरी में भी हम देव आनंद-सुरैया, दिलिप कुमार-मधुबाला, राज कपूर-नर्गिस, गुरू दत्त-वहीदा रहमान, अमिताभ-रेखा...की कहानी को लोग ज्यादा देखना-सुनना चाहते हैं। ये सभी स्टार्स परदे से इतर, निजी ज़िंदगी में एक-दूसरे से बेतरह मुहब्बत करते थे। लेकिन उस प्यार की परिणीति शादी में नहीं हो सकी। क्या यह बिछड़ाव ही पब्लिक सेंटिमेंट को कैश कर गई। हाल ही में देव आनंद ने अपने इंटरव्यू में कहा कि वो आज भी सुरैया को नहीं भूल पाते हैं। सलमान-एश्वर्या की बात करें तो, ऐसी कौन सी बात हो जाती है कि भारतीय दर्शक सलमान से साथ सहानभुति दिखलाने लगता है। कुछ तो है......किसी जर्मन लिजेंड में कभी कहीं पढ़ा था कि "हैप्पी लव कैनॉट मेक स्टोरीज़"। क्या दुख इतना आकर्षक होता है????
लैला-मजनु, रोमिया जुलियट, हीर-रांझा सबने प्यार किया और अपने प्यार को पाने के लिये खुद के प्राणो की कुरबानी भी दे दी। ये सब अपने प्यार को नहीं पा सके थे। क्या इनकी असफ़लता ही इन्हें लोकप्रिय बनाती है....या इनकी कहानी में कुछ और बात थी। बसु और सपना के प्रेम को क्या कहेंगे.....दोनों मर कर ही एक दूजे को मिल पाते हैं। फ़िल्म ब्लॉकबस्टर थी और इसकी कहानी कुछ इस तरह से चित्रित की गई थी कि वह आज के युवा दर्शकों को भी प्रभावित करती है। फिल्म के दर्दनाक अंत ने दर्शकों के मनोदशा पर कुछ इस तरह प्रभावित किया कि दस दिनों के अंदर निर्देशक के बालचंदर को लाखों ख़त मिले। सभी ख़तों का मज़मून एक ही था। कहानी के अंत को बदल दें। क़यामत से क़यामत तक, डर, देवदास जैसी फ़िल्मों को हिट बनाने में उनके ट्रेज़िक कहानी ही सबसे महत्वपूर्ण रही है।
सितारों की ऑफ़ स्क्रीन लव स्टोरी में भी हम देव आनंद-सुरैया, दिलिप कुमार-मधुबाला, राज कपूर-नर्गिस, गुरू दत्त-वहीदा रहमान, अमिताभ-रेखा...की कहानी को लोग ज्यादा देखना-सुनना चाहते हैं। ये सभी स्टार्स परदे से इतर, निजी ज़िंदगी में एक-दूसरे से बेतरह मुहब्बत करते थे। लेकिन उस प्यार की परिणीति शादी में नहीं हो सकी। क्या यह बिछड़ाव ही पब्लिक सेंटिमेंट को कैश कर गई। हाल ही में देव आनंद ने अपने इंटरव्यू में कहा कि वो आज भी सुरैया को नहीं भूल पाते हैं। सलमान-एश्वर्या की बात करें तो, ऐसी कौन सी बात हो जाती है कि भारतीय दर्शक सलमान से साथ सहानभुति दिखलाने लगता है। कुछ तो है......किसी जर्मन लिजेंड में कभी कहीं पढ़ा था कि "हैप्पी लव कैनॉट मेक स्टोरीज़"। क्या दुख इतना आकर्षक होता है????
लैला-मजनु, रोमिया जुलियट, हीर-रांझा सबने प्यार किया और अपने प्यार को पाने के लिये खुद के प्राणो की कुरबानी भी दे दी। ये सब अपने प्यार को नहीं पा सके थे। क्या इनकी असफ़लता ही इन्हें लोकप्रिय बनाती है....या इनकी कहानी में कुछ और बात थी। बसु और सपना के प्रेम को क्या कहेंगे.....दोनों मर कर ही एक दूजे को मिल पाते हैं। फ़िल्म ब्लॉकबस्टर थी और इसकी कहानी कुछ इस तरह से चित्रित की गई थी कि वह आज के युवा दर्शकों को भी प्रभावित करती है। फिल्म के दर्दनाक अंत ने दर्शकों के मनोदशा पर कुछ इस तरह प्रभावित किया कि दस दिनों के अंदर निर्देशक के बालचंदर को लाखों ख़त मिले। सभी ख़तों का मज़मून एक ही था। कहानी के अंत को बदल दें। क़यामत से क़यामत तक, डर, देवदास जैसी फ़िल्मों को हिट बनाने में उनके ट्रेज़िक कहानी ही सबसे महत्वपूर्ण रही है।
8 comments:
ट्रेज़िक कहानी ही महत्वपूर्ण है.
शायद ट्रेजडी देख कर आमजन अपने आपको जुड़ा महसूस करता हो या यह सोच कर खुश होता हो कि हमसे भी ज्यादा दुखी प्राणी हैं, इसलिये बिकता है.
अरे भाई, आप तो देवदास को तो भूल ही गए.
वैसे इन सबके सुपर हिट होने का जो कारण मुझे समझ में आता है, वह यह है कि हम सभी का दिल कभी न कभी , कहीं न कहीं जीवन के किसी मोड़ पर ज़रूर टूटा होता है,
Tragedies are easily able to touch the heart of people as they seem more emotional than other ones.
Great Blog.
in tragedy we always feel our story, the common people story, that's why ye bikta hai.....
it is related to our life
I liked your views a lot. I would like to give my comments here.
The reason why cassettes titles prefixing ‘Bewafa’ are high in demand has a reason. The word ‘Bewafa’ signifies tragedy and a tragedy leaves an everlasting impression on the minds of people. Why?
A tragedy is against the human instinct of being happy and satisfied all the time because in a tragedy the cause is interrupted without his/her will.
A tragedy is an unfulfilled desire, an incomplete story. Everyone wants to fulfill his desires; everyone is keen to listen the whole story. But in a tragedy, end is missing every time.
Tragedy is a pain. If you don’t take a treatment it doesn’t leave you.
The moment your desire is filled; the whole story is told and the pain in cured, you don’t take much time to forget the sufferings. Reason, there is no excitement in reminding that old pain.
Love of Juliet-Romio;Laila-Majnu; Sheerin-Farhad was an unfulfilled desire; a pain; an incomplete story. Desire hasn’t been fulfilled; pain hasn’t been cured and the story hasn’t been finished. So, excitement to come out trap of tragedy is still there. That’s why such accidents are never forgotten.
Whenever we come across similar tragedies in our lives we easily correlate it with any of the tragic stories we know. Similarly, we correlate ‘Bewafa’ word printed on cassettes or present in lyrics with a Bewafa girl that has ditched ourselves in some part of our life. Though the correlation isn’t the part of solution but it gives us company of tragic people and we don’t feel alone. The title of the cassette will never attract to a boy or a girl who has never been ditched.
Remember, you accept it or not, but a tragedy is always in demand because of its longevity. Have you ever thought why a natural death is easily forgotten but an assassination is not? How many facts do you know about Julius Ceaser, Socrates, Jesus Christ and Abraham Lincoln except their assassinations?
Thanks.
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