Wednesday, October 3, 2007

एक्सक्लूसिव बिहारी शब्दकोष


आरकुट पर दिशाहीन विचरण कर रहा था। तभी बिहारी कम्यूनिटी पर एक पोस्ट नज़र आया। पोस्ट में एक्सक्लूसिव बिहारी शब्द सुझाने को कहा गया था। मतलब ऐसे शब्द या वाक्य जो सिर्फ़ बिहार में बोली और समझी जाती है। कुछ शब्द वहीं से कंट्रोल सी कर लिया और कुछ को स्वयं अपने मेमोरी से जोड़ा। और तैयार हो गया यह मिनी डिक्शनरी। बिहार स्पेशल शब्दकोष। अधिकतर शब्द तदभव ही हैं। मगह, मैथिली, अंगिका, भोजपूरी और मसाले के रूप में पटनिया। लोगों का मानना है कि पटना में मगही भाषा बोली जाती है। लेकिन मैं इससे सहमत नहीं हूं। पटना में पटनिया बोली जाती है जो पूरे राज्य की भाषाओं और राष्ट्रभाषा हिंदी का मिश्रण है। पेश है शब्दकोश के कुछ जाने-पहचाने शब्द:

" कपड़ा फींच\खींच लो, बरतन मईंस लो, ललुआ, ख़चड़ा, खच्चड़, ऐहो, सूना न, ले लोट्टा, ढ़हलेल, सोटा, धुत्त मड़दे, ए गो, दू गो, तीन गो, भकलोल, बकलाहा, का रे, टीशन (स्टेशन), चमेटा (थप्पड़), ससपेन (स्सपेंस), हम तो अकबका (चौंक) गए, जोन है सोन, जे हे से कि, कहाँ गए थे आज शमावा (शाम) को?, गैया को हाँक दो, का भैया का हाल चाल बा, बत्तिया बुता (बुझा) दे, सक-पका गए, और एक ठो रोटी दो, कपाड़ (सिर), तेंदुलकरवा गर्दा मचा दिया, धुर् महराज, अरे बाप रे बाप, हौओ देखा (वो भी देखो), ऐने आवा हो (इधर आओ), टरका दो (टालमटोल), का हो मरदे, लैकियन (लड़कियाँ), लंपट, लटकले तो गेले बेटा (ट्रक के पीछे), की होलो रे (क्या हुआ रे), चट्टी (चप्पल), काजक (कागज़), रेसका (रिक्सा), ए गजोधर, बुझला बबुआ (समझे बाबू), सुनत बाड़े रे (सुनते हो), फलनवाँ-चिलनवाँ, कीन दो (ख़रीद दो), कचकाड़ा (प्लास्टिक), चिमचिमी (पोलिथिन बैग), हरासंख, चटाई या पटिया, खटिया, बनरवा (बंदर), जा झाड़ के, पतरसुक्खा (दुबला-पतला आदमी), ढ़िबरी, चुनौटी, बेंग (मेंढ़क), नरेट्टी (गरदन) चीप दो, कनगोजर, गाछ (पेड़), गुमटी (पान का दुकान), अंगा या बूशर्ट (कमीज़), चमड़चिट्ट, लकड़सुंघा, गमछा, लुंगी, अरे तोरी के, अइजे (यहीं पर), हहड़ना (अनाथ), का कीजिएगा (क्या करेंगे), दुल्हिन (दुलहन), खिसियाना (गुस्सा करना), दू सौ हो गया, बोड़हनझट्टी, लफुआ (लोफर), फर्सटिया जाना, मोछ कबड़ा, थेथड़लौजी, नरभसिया गए हैं (नरवस), पैना (डंडा), इनारा (कुंआ), चरचकिया (फोर व्हीलर), हँसोथना (समेटना), खिसियाना (गुस्साना), मेहरारू (बीवी), मच्छरवा भमोर लेगा (मच्छर काट लेगा), टंडेली नहीं करो, ज्यादा बड़-बड़ करोगे तो मुँह पर बकोट (नोंच) लेंगे, आँख में अंगुली हूर देंगे, चकाचक, ससुर के नाती, लोटा के पनिया, पियासल (प्यासा), ठूँस अयले (खा लिए), कौंची (क्या) कर रहा है, जरलाहा, कचिया-हाँसू, कुच्छो नहीं (कुछ नहीं), अलबलैबे, ज्यादा लबड़-लबड़ मत कर, गोरकी (गोरी लड़की), पतरकी (दुबली लड़की), ऐथी, अमदूर (अमरूद), आमदी (आदमी), सिंघारा (समोसा), खबसुरत, बोकरादी, भोरे-अन्हारे, ओसारा बहार दो, ढ़ूकें, आप केने जा रहे हैं, कौलजवा नहीं जाईएगा, अनठेकानी, लंद-फंद दिस् दैट, देखिए ढ़ेर अंग्रेज़ी मत झाड़िए, लंद-फंद देवानंद, जो रे ससुर, काहे इतना खिसिया रहे हैं मरदे, ठेकुआ, निमकी, भुतला गए थे, छूछुन्दर, जुआईल, बलवा काहे नहीं कटवाते हैं, का हो जीला, ढ़िबड़ीया धुकधुका ता, थेथड़, मिज़ाज लहरा दिया, टंच माल, भईवा, पाईपवा, तनी-मनी दे दो, तरकारी, इ नारंगी में कितना बीया है, अभरी गेंद ऐने आया तो ओने बीग देंगे, बदमाशी करबे त नाली में गोत देबौ, बड़ी भारी है-दिमाग में कुछो नहीं ढ़ूक रहा है, बिस्कुटिया चाय में बोर-बोर के खाओ जी, छुच्छे काहे खा रहे हो, बहुत निम्मन बनाया है, उँघी लग रहा है, काम लटपटा गया है, बूट फुला दिए हैं, बहिर बकाल, भकचोंधर, नूनू, सत्तू घोर के पी लो, लौंडा, अलुआ, सुतले रह गए, माटर साहब, तखनिए से ई माथा खराब कैले है, एक्के फैट मारबौ कि खुने बोकर देबे, ले बिलैया - इ का हुआ, सड़िया दो, रोटी में घी चपोड़ ले, लूड़ (कला), मुड़ई (मूली), उठा के बजाड़ देंगे, गोइठा, डेकची, कुसियार (ईख), रमतोरई (भींडी), फटफटिया (राजदूत), भात (चावल), नूआ (साड़ी), देखलुक (देखा), दू थाप देंगे न तो मियाजे़ संट हो जाएगा, बिस्कुट मेहरा गया है, जादे अक्खटल न बतिया, एक बैक आ गया और हम धड़फड़ा गए, फैमली (पत्नी), बगलवाली (वो), हमरा हौं चाहीं, भितरगुन्ना, लतखोर, भुईयां में बैठ जाओ, मैया गे, काहे दाँत चियार रहे हो, गोर बहुत टटा रहा है, का हीत (हित), निंबुआ दू चार गो मिरची लटका ला चोटी में, भतार (पति शायद), फोडिंग द कापाड़ एंड भागिंग खेते-खेते, मुझौसा, गुलकोंच(ग्लूकोज़)।"

कुछ शब्दों को आक्सफोर्ड डिक्शनरी ने भी चुरा लिया है। और कुछ बड़ी-बड़ी कंपनियाँ इन शब्दों को अपनें ब्रांड के रूप में भी यूज़ कर रही हैं। मसलन
- देखलुक - मतलब "देखना" - देख --- लुक (Look)
- किनले - मतलब "ख़रीद" - KINLEY (Pepsi Mineral Water)
- पैलियो - मतलब "पाया" - Palio (Fiat's Car)
- गुच्ची - मतलब "छेद" - Gucci (Fashion Products)


अब बिहार में आपका नाम कैसे बदल जाता है उसकी भी एक बानगी देखिए। यह इस्टेब्लिस्ड कनवेंशन है कि आपके नाम के पीछे आ, या, वा लगाए बिना वो संपूर्ण नहीं है। मसलन....
- राजीव - रज्जीवा
- सुशांत - सुशांतवा
- आशीष - अशीषवा
- राजू - रजुआ
- रंजीत - रंजीतवा
- संजय - संजय्या
- अजय - अजय्या
- श्वेता - शवेताबा

कभी-कभी माँ-बाप बच्चे के नाम का सम्मान बचाने के लिए उसके पीछे जी लगा देते है। लेकिन इसका कतई यह मतलब नहीं कि उनके नाम सुरक्षित रह जाते हैं।
- मनीष जी - मनिषजीवा
- श्याम जी - शामजीवा
- राकेश जी - राकेशाजीवा

अब अपने टाईटिल की दुर्गति देखिए।
- सिंह जी - सिंह जीवा
- झा जी - झौआ
- मिश्रा - मिसरवा
- राय जी - रायजीवा
- मंडल - मंडलबा
- तिवारी - तिवरिया

ऐसे यही भाषा हमारी पहचान भी है और आठ करोड़ प्रवासी-अप्रवासी बिहारियों की जान भी। डिक्शनरी अभी भी अधूरी है। आप इसमें अपने शब्द जोड़कर और भी समृद्ध बना सकते है। तरीका बेहद आसान है। नीचे लिखे केमेंट्स पर क्लिक् करें। अपना संदेश लिखे....फिर अपने ज़ी-मेल आई-डी भरकर पब्लिश क्लिक कर दे।



24 comments:

sushant jha said...

Wah guru...Ravish kumar sharma jayein..ye padh kar..sahi hai ki Bihar ko mahaj kuch blog ke post se nahin jana ja sakta..bahut cheejein hai jo abhi bhi unexplored hai...aur ho bhi kyon na..garib state ke barein mein janana kaun chahta hai aajkal jab..shopping mall aur Express highway ke chamakdar visual ya write up maujud ho...khair, koshish kamal ki hai ummid hai aage bhi kuch aise hi kuch anchuye pehalu ko prakash mein laoge..barna ess abhage state ke barein mein likhna kaun chahta hai..haan padhte sabhi kautuhal se hai.....

Pratyaksha said...

आनंद आया , घर लौटने जैसा ।

Arti Singh said...

सुने तो और भी कई शब्द हैं पर लिखते वक्त याद नहीं आ रहे। बस एक याद आ रहा है (गोली देना अर्थ तो तुम्हे पता ही है)
वैसे एक सवाल है...तुमने ब्लॉग पर भंयकर बिहारवाद क्यों फैला रखा है?

Unknown said...

मजा आ गया.....क्या आईडिया है.....एक बिहार के त्योहार और व्यंजन पर भी हो जाए.....। मैं तो पढ़ के बौरा गई। जारी रहिए, बहुत स्कोप है यहाँ।

Unknown said...

भाई झन्नाटेदार माल पेश किया है। मन हरिहर हो गया। चेन्नई में सब भूल गए थे। पढ़ते-पढ़ते लग रहा था जैसे गाँव वाले घर में बैठे हुए है। कुछ और शब्द जोड़ा जा सकता है - चमोकन, चमरचिट्ट, गुलगुल्ला, झोड़ आदि आदि....

Unknown said...

चकाचक है जीला। माल परोसने का अंदाज़ भा गया दोस्त। लगता है आपके रग-रग में बिहार ढ़ूका हुआ है। बहुत दिनों के बाद खाँटी देशी शब्दों से रूबरू हुआ। आप पर इल्ज़ाम भी लगा है कि आप बिहारवाद फैला रहे हैं। आप इन आरोपों से घबराएँ नहीं भैया। अरे भाई बिहारी हैं तो मराठी या गुजराती लिखेंगे का। आरोपित तो आप बिहार में जन्म लेते ही हो जाते है। हलांकि समय-समय पर हम सिद्ध करते रहे हैं कि दिमाग और मेहनत में हमारा कोई सानी नहीं है। कहते हैं न "एक बिहारी, सब पर भारी"।

Manjit Thakur said...

राजीव भाई मज़ा आ गया। कुछ और हिंदी-मैथिली गालियों का संग्रह भेज रहा हूं। आने वाली नादान गालीविहीन पीढ़ियों के काम आएंगी ताकि दुश्मनों के कान से खून चूने(टपकने ) लगे-

इटेवा- ईंट
कुटेव-बुरी आदत
मुंहझौंसा- जो मुंह में आग लगा दिए जाने लायक हो
शरधुआ- जिसका श्राद्ध किया जाए
रोगढुकौना- जिसे रौग बलाएं लगें
निरवंशा- जो निर्वंश मरे
बाढ़िन झट्टा- जिसे बाढ़न यानी झाडू से पीटा जाए
निपूतरा- जिसे बेटा न हो
ढीढ़वाली- नाजायज़ औलाद पेट में रखने वाली
बोंगमरना- अप्राकृतिक यौनाचार करवाने वाला पुरुष

कुछ अन्य शब्द हैं-
सजमइन- लौकी, अरिकोंच-कच्चू, बूट- चना, छीमी-मटर, कोंहड़ा- दिल्ली में सीताफल, ढेपा-पत्थर, भैंसुर-जेठ, लताम-अमरूद, खखुआना- चिढ़ना,

Unknown said...

Shabdkosh 80% complete hai aapka. Kuch shabd chut gaye hain jaise - Halua Tight karna. Aise aapne bahut mehnat kiya hoga. Is dictionary ko Bihar Sarkar ke Sarkari Gadget mein chapwane ka prayas karen. In shabdon se badhiya Bihar ki Jhaanki ho hi nahin sakti. Janm se mrityu tak harek Bihari inhi sabdo ke saath khelta hai, jeeta hai aur marta bhi hai. Badhai sweekar karen.

Unknown said...

खिलखिला के हँस परे हम तो। दुबई से भागलपूर हजारों मील दूर है। आपके शब्दों ने दोनों को काफी करीब ला दिया। मुरझाई यादें फिर से लहलहा उठीं। शुक्रिया....

Amit Kumar said...

Wah bhai aaj to sachmuch maza aa gaya. shayad ek saath etne shabdh ka shabdhkosh to maine patna mein rah kar bhi nahi suna tha.
aur aarti mem se aagrah hai ki wo bataye ek bihari hokar biharwad failana kahan tak gunah hai aur yadi ye gunah hai to muje garv hai ki main Bihari hoon.
Dhanyabad......

Unknown said...

Hi Sir...this is Sameer Anand From IIIT Allahabad. I am from Gaya. Its very interesting to find these words after aeons. I wish I could have written in Devnagri but we don't have the facility here. Its really a fantastic job done. Write somethin interesting on our culture as well. For eg.Changing cultural scenario in the state after Nitish came in power, Maithil marriage and Barat,Chhath Pooja of Patna,Vat Savitri, Teej, Pitripaksh Mela in Gaya etc. Best Wishes and Reg.

Unknown said...

आपके द्वारा लिखे गए शब्द अनमोल हैं. लेकिन इनमे से बहुत से शब्द उत्तर प्रदेश में भी बोली जाती है. खास कर पूर्वांचल में.

Rajiv K Mishra said...
This comment has been removed by the author.
Rajiv K Mishra said...

हौसलाअफजाई के लिए आप सभी का शुक्रिया। आलोचनाओं को भी प्रशंसा की तरह खुले दिल से स्वीकार करता हूं। वो कबीर नें कहा हैं न 'निंदक नियरे राखिये, आंगन कुटि छवाय'- इसलिए टिप्पणी से परेशान होने की जरूरत नहीं है। उन्हें अपना काम करने दीजिये और आप अपना काम कीजिये।

Unknown said...

Sir,
u r just amazing in writing.
waise aapke is article se thodi bahut bihari main bhi sikh gaya hoon. hope so, zaldi hi poori tarah sikh jaunga...:)

Unknown said...

सबसे अलहदा...कुछ ने अश्लील कहा तो किसी ने की तारीफ़। मैं कहती हूं हालिया दिनों में पढ़ा गया सबसे बेहतरीन पोस्ट। फ्रेश आईडिया और शब्द जिंदगी और जिंदादिली से लबरेज। ऐसे मैं बिहार से नहीं हूं। फिर भी कहती हूं बेहतरीन....जारी रहें। माल चकाचक है।

Pun Intended said...

lage rahiye sir, e sasur office mein aap aur aapka blog dono first class relief hai. Aur jo mohatarma aur mahapurush aap par biharwaad ka aarop laga rahe hain, unka mail id sunil pandey inc. ko forward kar dijiye. probably uske baad phoring the kapar and bhagiing rahriye rahariye. Great stuff boss....

Balendu Sharma Dadhich said...

आनंददायक और विशुद्ध बिहारी रंग में रंगा हुआ है यह लेख। लिखते रहिए, बहुत बढ़िया जा रहे हैं।

alexander said...

wah dablu bhaiya ka kahe bari maja aaya aapka kissago.com dekh kar...main nahi samajhta tha ki aap aisa bhi likhte hain.aap to bilkul kamaal ke writer hai bhai.aapke lekhan mein bilkul "hans" patrika waali writaron ki jhalak aati hain.maan gaye bhai aapko....bihar ka culture aur dilli ki modern hawa dono ka bejor combo hain aap.

Anonymous said...

Bhai wah!wah! aapke kya kahne.kuch aur shabd jo akhni iyaad aa raha hai oo sab likhne ka korsis kar rahe hain.
lattar-Lata(climber)
Muri- Sir(head)
bhur- Chhed(hole)
ledra/gendra- bichhawan
nehaali- rajai
bhatarmari- who kills her husband
jaigo-jaoge
lihin/ dihin/lihis/dihis/puchhis etc.
meharu-wife
mardana-husband
motri-potali
muretha-turban
kauchi- kya
pankha haunkana- panhe se hawa karna
dauri- tokri
chandil- ganja(bald)
aur shabd abhi yaad nahi aa raha hai. baad me likhenge
aapke prayaas ke liye sadhubad.

नारायण प्रसाद said...

बड़ी परिश्रम से लिक्खल ई अपने के लेख पढ़के बड़ी खुशी होलइ ।

<< लोगों का मानना है कि पटना में मगही भाषा बोली जाती है। लेकिन मैं इससे सहमत नहीं हूं। >>

जब लोग ई कहऽ हथिन कि पटना में मगही बोलल जा हइ त एकर मतलब ई होबऽ हइ कि पटना जिला में मगही बोलल जा हइ ।

Unknown said...

mijaje ekedam hriya g'il ho ta'har bihari shabdavali pad k.... nani,dadi Auri bua sab kehu yaad Aa g'il

राजीव जैन said...

मजा आ गया गुरु

कई सारे शब्‍द अपन ने भी दिल्‍ली में रहने के दौरान खूब सुने हैं।

Anonymous said...

żeglugi! Zakłócenia w dоstaωach importoωanegο zbоża!
Boωіem gsarit.Com to
także

prаwdziwοść, pomyślаł Arnold, przеzorniе niе infoгmując tego na głos.
Ciеk wyschła dο małеj mіeścіnу zwanej Warszawą.



Gdań.