Wednesday, July 1, 2009

8, 14, 17, 25, 28, 38…100….???

अब जब गृह मंत्रालय ने सार्वजनिक कर दिया है कि उसके ऊपर 10 नए राज्य बनाने का दवाब बढ़ रहा है। ऐसे में ये बहस उठना लाजिमी है कि व्यक्तिगत और जातिगत राजनैतिक महत्वकांक्षा को जन कल्याण का जामा पहनाकर देश को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटना कहां तक जायज है।

महान मुगलिया सल्तनत के पतन के साथ ही भारत कई टुकड़ों मे बंट गया। केंद्रीय सत्ता के कमजोर होते ही छोटे-बड़े राजे रजवारों और नवाबों ने अपनी-अपनी रियासत को आजाद घोषित कर दिया। नतीजा यह हुआ कि 18 वीं सदी के मध्य तक भारतीय उप-महाद्वीप करीब 600 हिस्सों में बिखर चुका था। इसी बंटे हुए भारत में राबर्ट क्लाईव कहीं से आता है और जून 1757 में पलासी की ऐतिहासिक लड़ाई में नवाब सिराजुद्दौला को हराकर भारत में अंग्रेज़ी सत्ता को स्थापित कर देता है।

क्लाइव की जीत के पीछे अंग्रेज़ी सेना का कोई योगदान नहीं था। उसने इन्हीं छोटे-बड़े राजा, नवाबों की सेना की बदौलत इस जीत को हासिल किया था। बंटे हुई सेना के भीतर राष्ट्रीयता की भावना थी ही नहीं। इसलिए एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए, अंग्रेजों का साथ देने में वे जरा भी नहीं हिचके। ठीक 100 साल बाद 1857 में अंग्रेज़ों नें विद्रोह को दबाने के लिए फिर से यही तरीका अपनाया। इस बार विभाजन वर्ग और क्षेत्र के नाम पर किया गया। सेना मराठा, सिख, मुसलमान, राजपूत, जाट के नाम पर बंट गई। आज जो हमारे अंदर ‘भारत एक राष्ट्र’ की भावना है, उस वक्त नहीं थी। अप्रत्यक्ष रूप से ब्रिटिश राज का एक फ़ायदा यह हुआ कि हम भारत को एक देश के रूप में देखने लगे। भारतीयता का पुनर्जन्म होता है। एक राष्ट्र जिसका कोई निश्चित आर्थिक-सामाजिक स्वरूप नहीं था। लेकिन एक स्थापित भौगोलिक अभिव्यक्ति थी। लद्दाक से कन्याकुमारी और अरुणाचल से कच्छ तक फैला हुआ “इंडिया, दैट इज भारत”।
आजादी के 62 वर्षों बाद आज हम जहां हैं, दुनिया में हमारी जो भी हैसियत है- उसके पीछे यही भारतीयता की भावना है। हमारी इसी एकता और अखंडता के बदौलत हम वैश्विक मंच पर सिर उठा कर खड़े होते हैं। कुंठित भावनाओं और तुच्छ राजनेतिक स्वार्थ को आगे रखकर देश को छोटे-छोटे राज्यों में बांटने की साजिश चल रही है। और इस साजिश का पहला शिकार भारतीयता ही होगी।

अब जरा इन मांगों पर गौर करें-
1. गुजरात से सौराष्ट्र
2. आंध्र प्रदेश से तेलंगाना
3. महाराष्ट्र से विदर्भ
4. पश्चिम उत्तर प्रदेश से हरित प्रदेश
5. यूपी से बुंदेलखंड
6. बिहार से मिथिलांचल
7. कर्नाटक से कुर्ग
8. पश्चिम बंगाल से गोरखालैंड
9. पश्चिम बंगाल और असम के कुछ जिलों को मिलाकर ग्रेटर कूच बिहार
10. पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर भोजपुर राज्य

ऐसा नहीं है कि गृह मंत्रालय नए राज्यों के निर्माण में जल्दबाजी दिखा रहा है। लेकिन सूची में पहले से मौजूद 28 राज्यों में इन 10 को जोड़ कर आप भविष्य की कल्पना कर सकते हैं। चलिए मान लेते हैं कि सरकार इन 10 राज्यों को हरी झंडी दे देती है। फिर क्या होगा....? यकीन मानिए 10 और राज्यों की मांग सामने आ जाएगा। आप शायद यकीन नहीं करेंगे। अपनी यादास्त कुछ साल पीछे नवंबर 2000 में ले जाएं। उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य होता था। उसको काट कर उत्तराखंड निकाला गया। अब यूपी से ही बुंदेलखंड और हरित प्रदेश निकाली जाएगी। झारखंड, बिहार से अलग हुआ था। अब बचे हुए बिहार से मिथिलांचल और भोजपुर राज्य काटा जाएगा। ये कभी नहीं मरने वाला कीड़ा है। एक चक्रव्युह है, फंस गए तो निकलना मुश्किल है।

एक बार सौराष्ट्र, गुजरात से अलग हुआ नहीं कि कच्छ वाले अलग राज्य की मांग करने लगेंगे। आंध्र प्रेदेश में तेलंगाना के देखादेखी रॉयलसीमा में भी नए राज्य की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। आंध्र में ही हैदराबाद क्षेत्र के मुसलमान अपने लिए अगल उर्दू राज्य चाहते हैं। फिर बिहार में मगह, अंग....उत्तर प्रदेश में रोहैलखंड...। एक बार ये सिलसिला चल पड़ा तो फिर 100 से पहले रुकना मुश्किल है। हलांकि 100 राज्य, 600 रियासतों की तुलना में काफ़ी कम है। लेकिन एक बात तो तय है कि इससे देश कमजोर होगा। अलगाववादी प्रवृत्तियों को और बल मिलेगा। राज्यों का आपस में अभी से कार्डिनेशन नहीं है। 100 राज्य हो गए तो फिर कहना ही क्या..। निश्चित रूप से पाकिस्तान और चीन इसका जमकर फ़ायदा उठाएंगे। आतंकवाद विरोधी मुहीम की ऐसी-तैसी हो जाएगी।

हलांकि कुछ नए राज्यों की मांग जायज भी है। कुई राज्यों में ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पिछले 62 वर्षों में विकास काग़जों और फाईलों में ही सिमट कर रह गई है। ज़मीन पर कुछ ख़ास नहीं हुआ। जैसे की तेलंगाना। आंध्र प्रेदेश जैसे अपेक्षाकृत तरक्की करनेवाले राज्य में तेलंगाना बेहद ही पिछड़ा है। कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जो अपनी संस्कृति को बचाने के लिए अलग राज्य की मांग कर रहे हैं। जैसे कर्नाटक का कुर्ग जिला। कुछ जगहों पर राज्य की राजनीति में किसी जाति विशेष के वर्चस्व को तोड़ने और नए समीकरण बनाने के लिए अलग राज्य की मांग उठ रही है। यहां भी हम तेलंगाना का उदाहरण ले सकते हैं। ओबीसी, तेलंगाना राज्य की सियासत में अपनी हिस्सेदारी और हैसियत को और बढ़ाना चाहते हैं। अब सवाल यह है कि तेलंगाना जैसे राज्यों के गठन का आधार क्या हो???? जाति विशेष की राजनैतिक महत्वकांक्षा, या फिर क्षेत्र का व्यापक विकास???

अनेकता में एकता ही अपने मुल्क की खासियत है। हमारे नीति-निर्माताओं को कोई भी फ़ैसला लेने से पहले सोच लेना चाहिए कि उनके फ़ैसले से यह सामंजस्य गड़बड़ा तो नहीं रहा है। ध्यान रहे, हमारे दरवाजे पर कई राबर्ट क्लाईव घात लगाए खड़ा है।

अभी गूगल पर सर्च किया तो पया कि इन 10 के अलावा ये 15 भी लाईन में हैं :-
  1. BODOLAND - The agitation for the creation of a separate Bodoland state resulted in an agreement between the Indian Government, the Assam state government and the Bodo Liberation Tigers Force.
  2. DELHI AND PONDICHERRY- Both Delhi and Puducherry are Union Territories with their own legislatures and chief ministers, but they are not yet full states. A plea for full statehood has been passed by the legislative assembly of Puducherry.
  3. KODAGU- The demand for creation of a separate Kodava state, a region of Karnataka, is based on the region having a distinct culture, rather than on allegations of discrimination and neglect.
  4. TULU NADU - The demand for creation of a separate state of Tulu Nadu,a region of karnataka and kerala,is based on having a distint culture and language of Tulu Nadu which is Tulu .
  5. PURVANCHAL – Western Bihar & Eastern UP
  6. VIDARBHA – Maharashtra
  7. ANGIKA - Angika speaking state in Bihar. Angika has 30 million speakers.
  8. BHILKHAND- from parts of Gujarat and Maharashtra.
  9. GONDWANA- which would include portions of Andhra Pradesh, Chhattisgarh, Madhya Pradesh, and Maharashtra.
  10. ICHIKANCHAL from Bihar.
  11. KAMTAPUR in northern parts of West Bengal. The proposed state consists of the districts of Koch Behar, Jalpaiguri, and southern plains of Darjeeling including Siliguri city.
  12. KARBI ANGLONG in Assam.
  13. RAYALASEEMA, Andhra Pradesh
  14. VINDHYA PRADESH, Madhya Pradesh
  15. MUMBAI OR BOMBAY, Maharashtra

3 comments:

रंजन said...

इसमें मरु प्रदेश कहाँ है... पश्चिमी राजस्थान में..

Pramendra Pratap Singh said...

जानकारी भरा चेताने वाला लेख, पटेल ने सबको जोड़ा बस मिलकर तोड़ रहे है।

Anonymous said...

MEIN SMALL STATES KA 50 BENEFITS BATA SAKTA HU. AGAR SMALL STATES KI MAANG KE ITNE HI SIDE EFFECTS HAI TO .SAABHI STATES KO SAMAPT KARKE EK BHARAT HI RAHENE DO. AUR PHIR DEKHNA NAZARA.ARRE BHAI ITHAS GAHAVA HAI KI JITNE BHI SMALL STATES HAI SABHI NE BAHUT TARRAKI KI HAI .INDIA TODAY STUDY KARTE HO KI NAHI.AAJ AGAR UTTARAKHAND PURE BHARAT MEIN SEVENTH RANK PAR HAI TO SIRF ISLEYE KE VO UTTARPARADESH SE ALAG HUA VARNA VO BHI VAHI HOTA JAHA AAJ UTTARPARADESH HAI. JANKARI HAI KI U.P. KA NUMBER RANK KE HISAB SE KAHA HAI ??????? WAHI BIHAR SE PHELE YANI SECOND LAST. ARRE BROTHER SMALL STATES BANNENE SE HUM BHARTIYO KE MAAN MEIN DESH BHAKTI KI KAAMI NAHI AA JAYGE. UTTRAKHAND, CHATTISGARH,JHARKHAND KA JAWAN NEW STATES KE BANNENE SE PHELE BHI DESH KE LIYA APNE JAAN DE DETA THA AUR WO AAJ BHI DE RAHA HAI.PLZ APNE KNOWLEDGE KO THODA BADA LO. DO U KNOW HOW MANY STATES IN AMERICA ?????????