Sunday, June 29, 2008

बिहार की कहानी - पवन के कुछ स्‍केचेज़

पवन नई पीढ़ी के उभरते हुए कार्टूनिस्ट हैं। पटना से ताल्लुक रखते हैं और पढ़ाई-लिखाई भी वहीं हुई है। पवन ने अपना पहला कार्टून बारह साल का उम्र में बनाया था। तब से आज तक उनकी कार्टून यात्रा बिहार के समाजिक-राजनीतिक हालात को अनवरत बयान करती आ रही है। फ़िलहाल दैनिक हिंन्दुस्तान के पटना संस्करण और बिहार टाईम्स से जुड़े हुए हैं। पवन ने अपने कार्टून के माध्यम से लालू यादव के हरेक मूड को पकड़ने की कोशिश की है, साथ ही कोशिश की है मीडिया और समाज के नब्ज को टटोलने की।








5 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत गजब के कार्टून बनाये हैं..पवन जी ने.

रवि रतलामी said...

पवन जी का एक ब्लॉग बनवा दें जिसमें वे अपने नियमित कार्टून डालें तो वाकई मजा आ जाए...

Som said...

Wonderful Cartoon collection.

Ashok Pandey said...

पवन इस प्रशंसा के हकदार है हीं। हमें उन पर गर्व है। हिन्‍दुस्‍तान के पटना डेस्‍क पर थोड़े समय के लिए मैंने भी काम किया था। शाम को कभी-कभी पवन जेनरल डेस्‍क पर मेरे बगल वाले कंप्‍यूटर पर बैठकर काम करते थे। उनकी तन्‍मयता देखते बनती थी।
पवन से ब्‍लॉगजगत के लोगों का परिचय कराने के लिए धन्‍यवाद।

Ashok Pandey said...

पवन इस प्रशंसा के हकदार है हीं। हमें उन पर गर्व है। हिन्‍दुस्‍तान के पटना डेस्‍क पर थोड़े समय के लिए मैंने भी काम किया था। शाम को कभी-कभी पवन जेनरल डेस्‍क पर मेरे बगल वाले कंप्‍यूटर पर बैठकर काम करते थे। उनकी तन्‍मयता देखते बनती थी।
पवन से ब्‍लॉगजगत के लोगों का परिचय कराने के लिए धन्‍यवाद।