एक नई आदत लग गई है। दफ्तर से रात के 1 बजे लौटता हूं। छोटा भाई कोलकाता से आया हुआ है। सुबह उसे इंटर्नशिप के लिए नोएडा जाना होता है। लेकिन फिर भी रात के दूसरे पहर तक सिर्फ़ इसलिए जगा रहता है कि भैया को खु़द खाना खिला सके। नौकर को कुछ आराम मिल जाता है। खाने के बाद सिगरेट की कश लेने छत पर चला जाता हूं। सुनसान छत, जहाँ अपने छत पर मैं और बगल के छत पर दो कुत्ते रहते हैं। पता नहीं दिल्ली में कुत्ते कार के उपर या फिर छतों पर कैसे पहुंच जाते हैं। शायद श्वान को भी खुले हवा में जीने का दिल करता है। ज़मीन बची नहीं तो छत ही सही। खैर महीने भर पहले जब मैं छत पर जाता तो दोनों एक स्वर में मुझ पर भूंकने लगते। और छतों के कुत्ते भी साथ मे भौंकने लगते। मैं भी डट जाता.....। धीरे-धीरे आज एक महीना हो गया। वे दोनों आज मेरे बगल में बिना किसी भय के आकर खेलने लगे। फिर थक कर बैठ गए। सोचने लगा...आख़िर ऐसा कैसे हो गया। मैने तो कुछ नहीं किया। हाल तक मेरे साए से डरने वाले दोनों आज मेरे पास इतने प्यार से कैसे आ गए। शायद हम इंसान और कुत्तों में यही फ़र्क है।
जब बात दिल से लगा ली तब ही बन पाए गुरु
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तिवारी जी आज त्रिपाठी जी का किस्सा सुना रहे थे।
ये त्रिपाठी हमारे साथ अपनी जवानी के दिनों में यहीं पान के ठेले पर दिन दिन
भर बैठा रहता था। न कोई काम...
1 day ago
6 comments:
Aap Office Se Itni raat ko aate ho???? Kutte Insani jajbaaton ko hum se jyada acchi tereh samajhte hai. Unme koi chal kapat nahi hota. Aap Hindi me kaise likhte ho????
वो जान गये हैं कि आप आज के इंसानों की तरह हानिकारक नहीं हो, शायद इसीलिए वरना तो आदमी आदमी को देख काटने दौड़ रहा है. :)
-गहरी पोस्ट.
सही कहा।
अच्छे लोग ,बेहतर परिवेश , अच्छा ब्यवहार . इंसानियत और सबसे बढ़ कर पयार ही प्यार का भूखा आदमी ही नही पशु भी है . कृपया मेरा ब्लॉग जरुर पढ़े और अपने विचारो से अवगत कराये . आपके ब्लॉग का एड्रेस कौस्तुब भाए ने दिया है
अच्छे लोग ,अच्छा ब्यवहार , इन्शानियत और प्यार ही प्यार का भूखा न सिर्फ़ मानव बल्कि पशु भी होता है .
धन्यबाद कृपया मेरा ब्लॉग पहा तो करनी होगी जरुर पढ़ना . आपके ब्लॉग का एड्रेस कौस्तुब भएया से मिला मेरे ब्लॉग का अद्द्रेस www.mehnat.blogspot.com
कुत्ते तु्मसे प्यारा इसलिए करने लगे हैं कि वो भी भ्रष्ट हो गए हैं...और इसलिए आजकल उन्हे आदमी ज्यादा पसंद आने लगे हैं। पसंद तो पहले भी आते थे लेकिन उसकी वजह दूसरी थी।
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