Monday, April 6, 2009

'स्लमडॉग' संजय

आज न्यू यार्क टाईम्स के मुख्य पृष्ट पर एक भारतीय की तश्वीर छपी है। कोई अनोखी बात नहीं है, पहले भी छपी होगी। गांधी, नेहरू, रहमान, इंदिरा नूई, लक्ष्मी मित्तल कभी न कभी इस प्रतिष्ठित अखबार के पहले पन्ने पर जरूर दिखे होंगे। लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है। अख़बार ने एक बिहारी की तश्वीर छापी है। संजय झा....जी हां, अमेरिका में सबसे ज्यादा तनख्वाह पाने वाले बिजनसे हेड हैं, मोटोरोला के को-सीईओ संजय झा। भारतीय मूल के संजय को पिछले साल 10 करोड़ 40 लाख डॉलर (करीब 5 अरब 19 करोड़ रुपये) का सैलरी पैकेज मिला, जो भारत में मुकेश अंबानी की तनख़्वाह से भी ज्यादा है। अमेरिका में 10 करोड़ से ज्यादा का पैकेज पाने वाले वे एकमात्र शख्स हैं। गौरतलब है कि अमेरिका करीब 17 महीने से मंदी की गिरफ्त में है। फिर भी इतनी बड़ी सैलरी....बाप रे बाप। इस लिस्ट में दो और भारतीय नाम हैं। पेप्सीको की इंदिरा नूई और सिटी बैंक के विक्रम पंडित।

संजय की 'Rags to Riches' की कहानी स्लमडॉग से मिलती जुलती है। यह बात भी दिलचस्प है कि संजय की प्रारंभिक पढ़ाई-लिखाई किसी मेट्रो में नहीं हुई है, बल्कि संजय 'सेंट बोरिस' (सरकारी स्कूल) के प्रोडक्ट रहे हैं। इंदिरा नूई ने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स में बीएससी करने के बाद आईआईएम कोलकाता से फाइनेंस व मार्केटिंग में एमबीए किया। बाद में उन्होंने वेल्स स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से मास्टर्स डिग्री हासिल की। वहीं पंडित ने कोलंबिया बिजनेस स्कूल से पी.एचडी की है। अगस्त 2008 में मोटोरोला ज्वाईन करते वक्त संजय फार्च्यून मैग्ज़ीन से एक साक्षात्कार में अपनी बचपन की यादों को ताजा करते हैं। "दादा जी ने BSNL फोन कनेक्शन के लिए आवेदन दिया था, लेकिन घर में फोन आने का हमें सालों तक इंतज़ार करना पड़ा था"। आज संजय मोटरोला के सीईओ हैं। दुनिया भर में छाई आर्थिक मंदी संजय के सामने कई चुनौतियां पैदा कर रही हैं। साथ ही एक चुनौती उनके अपने घर में भी है। मिसेज झा, आज भी LG का हैंडसेट ही इस्तेमाल करती हैं, भले ही शौहर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी हैंडसेट बनाने वाली कंपनी के सीईओं क्यूं न हों....। है न बहुत बड़ा चैलेंज!!!!!!!! एक बात और...... शायद अब बिहार में जन्मे बच्चों को अपने आदर्श की तालाश में बार-बार इतिहास में झांककर राजेंद्र बाबू और जेपी को न बुलाना पड़े...। उनका आयडल संजय भी तो हो सकता है। गांधी का चम्पारण सत्याग्रह इतिहास है। आज का सच सिलीकन वैली है, जहां अपना संजय कमाल दिखा रहा है।

7 comments:

वर्षा said...

अच्छी जानकारी दी

Unknown said...

झा जी को बधाई। राजीव भाई अभी तो यह बानगी भर है। आगे-आगे देखिए क्या-क्या कमाल होता है।

Anonymous said...

Jai Ho.....

Unknown said...

Indeed..an gr8 achievement. but still remain to be seen, what Mr Jha do for his native country.

Anurag Sharma said...

IT WAS GREAT INFORMATIVE PKG..
ANURAG(ur student)

sushant jha said...

कमाल की जानकारी है...ये इस बात की ओर इशारा करता है कि बिहार एक बड़ी संभावना को छुपाए हुए है।

Anonymous said...

बेहतरीन जानकारी,
बधाई और धन्यवाद.