ख़ैर, जहां तक मेरी जानकारी है, इसाई और इस्लाम दोनों धर्मों में मृत्यू के बाद दफ़नाया ही जाता है। क्रिस्चैनिटी में इस संस्कार को ‘वैटिकम’ और इस्लाम में ‘अल-दफ़ीन’ कहते हैं। अंतिम संस्कार का तरीका अलग-अलग है, लेकिन अंत में शरीर को दोनों धर्मों में दफ़नाते ही हैं। अगर जैक्सन ने इस्लाम कुबूल कर लिया था, तो उन्हें दफ़नाया जाएगा। अगर वे मृत्युपरांत इसाई ही रहे, फिर भी उन्हें दफ़नाया ही जाएगा। ऐसे में किसी नेशनल न्यूज़ चैनल का यह टॉप बैंड, वाकई सोचने को विवश करता है। शायद इसे मानसिक दिवालियापन कहना ही ठीक होगा। एक बात और...जैक्सन ख़ुद ही दफ़न कैसे हो सकते हैं...। 'क्या दफ़नाए जाएंगे जैक्सन?', ज्यादा सही नहीं होता।
जैक्सन सदी के कुछेक माहनतम कलाकारों में से थे। ऐसे में उन्हें किसी धर्म से जोड़ना कहां तक जायज है?? कलाकार तो मज़हब और मुल्क की सरहदों से परे होता है न।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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4 comments:
क्या बात है...सही प्वाईंट पकड़ा है।
सचमुच मानसिक दिवालियापन ही कहेंगे इसे।
कुछ तो चाहिए समय पास करने के लिए इन चैनल वालो को
Interesting observation
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