
तश्वीर- कनॉट प्लेस, शाम के 6.30 बजे।
कहानी अपनी-अपनी.....
मुद्दतें गुज़रीं तेरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
ज़रा विसाल के बाद आइना तो देख ऐ दोस्त
तेरे जमाल की दोशीज़गी निखर आई
तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो
तुम को देखें कि तुम से बात करें
6 comments:
बस अब ज़्यादा इंतज़ार नहीं... हेडलाइन चली है 48 घंटे में मॉनसून... कुछ घंटे इस बीच बीत भी चुके हैं...
हाय!!! अब यह लुका छिपी बर्दाश्त नहीं होती.
bahut hi sundar manuhar hai jaise aap aapni priyatama ko bula rahe ho
मै भी पीछे-पीछे भाग रहा हूं बरखा रानी के।
मै भी पीछे-पीछे भाग रहा हूं बरखा रानी के।
मै भी पीछे-पीछे भाग रहा हूं बरखा रानी के।
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