आज भी तेरा इंतज़ार करता रहा। दिन भर आसमान में बादलो की लूका-छिपी देखी। दिन के तीन बजे ठंडी हवा के हल्के झोकों ने इशारा किया....तुम कहीं आसपास ही हो। ख़ुश इतना हुआ कि चलती गाड़ी से उतर कर तुम्हारी आहट की तश्वीर उतारी। तुम गरजी भी, लेकिन बरसी नहीं.....बहुत हुआ, अब मत सताओ। बरसो बरखा रानी, झमाझम बरसो....।
तश्वीर- कनॉट प्लेस, शाम के 6.30 बजे।
6 comments:
बस अब ज़्यादा इंतज़ार नहीं... हेडलाइन चली है 48 घंटे में मॉनसून... कुछ घंटे इस बीच बीत भी चुके हैं...
हाय!!! अब यह लुका छिपी बर्दाश्त नहीं होती.
bahut hi sundar manuhar hai jaise aap aapni priyatama ko bula rahe ho
मै भी पीछे-पीछे भाग रहा हूं बरखा रानी के।
मै भी पीछे-पीछे भाग रहा हूं बरखा रानी के।
मै भी पीछे-पीछे भाग रहा हूं बरखा रानी के।
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