
©rajivkmishra\22\09\09\del
कहानी अपनी-अपनी.....
मुद्दतें गुज़रीं तेरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
ज़रा विसाल के बाद आइना तो देख ऐ दोस्त
तेरे जमाल की दोशीज़गी निखर आई
तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो
तुम को देखें कि तुम से बात करें
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