वनतुलसी की गंध, बांस का पुल, बघेरे की आहट और गेंहुअन का भय
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नीलकंठ की आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा दिन 2 सवेरे आंख खुली तो सब कुछ चुप था।
रात की जद्दोदहद याद आई। रात में बांई ओर नर्मदा की धारा थी, और दाहिने –
मच्छरों का...
1 day ago
1 comment:
Guru kamal ka liya....
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