आज बहुत ही ख़ास दिन है और लंबे अंतराल के बाद हमारी मित्र मंडली ने मिलने का प्रोग्राम बनाया है। कुछ पुरानी यादों को ताज़ा करना है और कुछ नई ग्रामीण से लेकर अन्तरराष्ट्रीय समस्याओं की खाल खींचनी है। सारा बंदोबस्त हो चुका है। घास पात बिरादरी के लिए पनीर है, तो नॉन वेज के लिए देसी मुर्गे की आवाज़ अभी खामोश की गई है...साथ ही मदिरा के दौर का इंतजाम भी चौकस है। आज किसी भी तरह की कमी नहीं होगी पिछली बार की भूल का एहसास है, जब दारु बीच में ही खत्म हो गई थी और हमारे बौद्धिक ज्ञान का लेवल अचानक माइनस में चला गया था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। जब जब हम ऐसी मुलाकात करते हैं तो लगता है कि ये हमारे सालाना जलसे का दिन है। आमंत्रण भी सबको दिया जा चुका है। ऋषि अपनी लंबी गाड़ी से अपने प्रिय सेवक रामफल के साथ आदतन देर रात को ही कदम रखेगा, जबकि सुशांत अपनी प्यारी बदरपुर बॉर्डर की ब्लू लाइन की सेवा का आनंद उठाते आ रहे हैं। मैंने और राजीव ने अवकाश ले लिया है ताकि आयोजन में कोई कमी ना हो। हम अपनी छुट्टी का पूरा सदुपयोग कर रहे हैं। अपनी ऊर्जा स्तर को बढ़ाना, बिना नहाए ही भोजन किया, धूप का सेवन कर खुद को तरोताजा करना। कुछ लोगों को आपत्ति हो सकती है कि नहाया क्यों नहीं तो भाइयों बता दें देश लोकतांत्रिक है सो ये अपन की मर्जी है। हमने कुछ तस्वीरें भी खिंचवाई है ताकि जब बड़े आदमी बन जाएं तो लोग इसे संभालकर इस्तेमाल करें। राजीव के यहां काम करने वाला लौंडा राजेश हमसे दुगुने उत्साह में है और इस बार पता लगा वो हमसे बड़ा पत्रकार है। किसी ज्ञान में कोई कमी नहीं और किसी खबर की फ्लैश चलते ही तुरंत खबर देना...सो हमने डिसाइड किया कि जब हम 'बास' बनेंगे तो इसे इनपुट में जगह दी जाएगी। घर के नीचे बैठी कुतिया भी सुबह से ही अंगड़ाई ले रही है कि आज तो अच्छी दावत मिलने वाली है शायद वो हमारे उत्साह को देखकर लबरेज है। सूरज भी आज आकाश से सलामी दे रहा था कि भाइयों रात को तो नहीं रहूंगा लेकिन मुझे भी याद रखना सो उसकी भी अर्जी रख ली गई है। पहले भी मैं कई दफा ज्यादा हो गया लिखता बहुत कम हूं लेकिन ये ज़िक्र कर चुका हूं कि सुशांत का कोई जोड़ नहीं जितनी कमनीय उनकी काया है वैसा ही दिमाग वो हमारे लिए बैटरी का काम करते हैं। जबकि काला साहेब हमारे कबीर हैं, 'नियरे निंदक राखिए'। हर बात पर सजग करने वाले यही उसकी बात है कि हमारे लिए वो दिलो जान से प्यारा है लेकिन कभी कभी कुछ अतिरेक उसके जरिए हो ही जाता है। राजीव अभी गुशलखाने में है और मुझे ये जिम्मेदारी दी गई है कि इसे लिखकर तुरत एक आमंत्रण सबको भेज दिया जाए। सो भाई लोग इस हुल्लड़बाज़ी संग्रह में आपका स्वागत है.... कार्यक्रम स्टार्ट आहे......आपको सादर इनिविटेशन....अपने खतरा उठाते हुए आइये...।
विनीत
राजीव कुमार(पत्तरकार)
राघवेंद्र(पत्तरकार)
राघवेंद्र त्रिपाठी
1 comment:
प्रापर इन्वीटेशन भेजिए, हम जरूर आएंगे।
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क्या स्टारवार शुरू होने वाली है?
परी कथा जैसा रोमांचक इंटरनेट का सफर।
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