
वनतुलसी की गंध, बांस का पुल, बघेरे की आहट और गेंहुअन का भय
-
नीलकंठ की आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा दिन 2 सवेरे आंख खुली तो सब कुछ चुप था।
रात की जद्दोदहद याद आई। रात में बांई ओर नर्मदा की धारा थी, और दाहिने –
मच्छरों का...
1 day ago
6 comments:
अच्छी जानकारी है...
शानदार पोस्ट है...
आपकी पोस्ट से इनका और इन जैसे अल्पसंख्यक इंसानों का हौंसला बढ़ेगा।
साधुवाद।
बहुत दिनों बाद आपकी पोस्ट आई, अपने followers को कुछ 'फ़ूड फॉर थोट' दीजिये ......
मनोज k
good job..
WAKAI KABILE TARIF HAI
Post a Comment