Thursday, September 6, 2007

स्वीट नथिंगस्


स्वीट नथिंगस्

प्रेमी - कैसी हो?
प्रेमिका - ठीक हूँ...और तुम..?
प्रेमी - बस तुम्हारी याद आ रही थी, इसलिए मिलने चला आया....
प्रेमिका - याद नहीं आती तो नहीं आते क्या?
प्रेमी - अरे...मेरी जान...कैसी बातें करती हो!
प्रेमिका - नहीं..आजकल अपने काम को मुझ पर प्रिफरेंस देने लगे हो।
प्रेमी - ओफ़ ओह...तुमसे बढ़कर मेरे लिए काम क्या, कुछ भी नहीं है।
प्रेमिका - चल झुठे....कितनी सफ़ाई से झुठ बोल लेते हो...
प्रेमी - अरे तुम्हारी कसम....झुठ तुमसे थोड़ी बोलुंगा। तुम ही मेरी हक़ीकत में हो और सोता हूं तो सपनों में भी तुम ही आती हो।
प्रेमिका - अच्छा कैसी लगती हूँ सपनों में?
प्रेमी - बिल्कुल ज़न्नत, प्यारी सी, सुंदर सी, शर्मो - हया से ख़ुद को समेटे हुए....
प्रेमिका - अच्छा क्या पहन कर आती हूँ सपनों में?
प्रेमी - कल जींस-टाँप, परसों रैप अरांउड और टी-शर्ट और उससे पहले भी सुर्ख़ लाल साड़ी में..और उससे भी पहले......
प्रेमिका - अच्छी लगती हूँ न?
प्रेमी - कुछ बातें कही नहीं जाती डियर...
प्रेमिका - अच्छा सुनो, मेरी सहेली है न उससे मेरा फिर से झगड़ा हो गया है।
प्रेमी - क्यों? क्या हुआ?
प्रेमिका - नहीं.....पता है कल मैंने उसे कैंटिन में बुलाया लेकिन वो नहीं आई। यू नो न...मैं अकेले नहीं खा सकती।
प्रेमी - अरे ऐसा क्यों किया उसने। ये तो घोर पाप है। यो तो शास्त्रों में भी लिखा है कि कोई खाने पर बुलाए और आप न जाएँ तो पाप के भागीदार बनते हैं।
प्रेमिका - वही तो...फिर उसने SMS भी किया लेकिन मैंने रिस्पांड नहीं किया!
प्रेमी - बिल्कुल ठीक किया....ऐसा थोड़ी होता है कि आप अपमान कर दें फिर साँरी बोलें....हंड्रेड एंड वन परसेंट सही किया।
प्रेमिका - पता है ... जन्माष्टमी के दिन हमारे घर पर गाय नें काले बछड़े को जन्म दिया।
प्रेमी - ग्रे़ट..........! स्वयं भगवान कन्हैया का जन्म तुम्हारे घर में हुआ है। धन्य हो वह पावन भूमि जहाँ उस नौनिहाल ने जन्म लिया है। और धन्य हो वह घर वाले जिसने उस गाय को पाला। मुझे तो लग रहा है उस बछड़े में देवांश है।
प्रेमिका - सुनो मेरा सिर दर्द कर रहा है। पता है रात ठीक से सोई भी नहीं...।
प्रेमी - अरे....कैसे....दवा लिया, डाक्टर को दिखाया! नहीं न....कितनी लापरवाह हो....।
प्रेमिका - छोड़ो भी....अच्छा पता है कल शापिंग के लिए गई थी।
प्रेमी - अरे.....बताया नहीं। क्या-क्या ख़रीदा?
प्रेमिका - कुछ ख़ास नहीं...बस दो कुर्ते, दो टाँप, माँ के लिए साड़ी और एक पर्स भी।
प्रेमी - वाऊ.....गुड....अच्छा खाना खा लिया?
प्रेमिका - हाँ.....
प्रेमी - क्या खाया?
प्रेमिका - रोटी, सब्ज़ी और मिठाई।
प्रेमी - ग्रेट....

टाईम स्पेंट - 5 घंटे
इंडिवीजुअल टाईम स्पेंट - 5 + 5 =10 घंटे
कंटेंट जेनरेटेड - आप स्वयं अंदाजा लगा लें
अगर फ़ोन पर है तो खर्चे का भी आंदाज़ा लगा सकते है .....


इस तरह की बातें करने वाले जीव आपको मुहल्लों, रेस्त्रां, हरेक पार्क, मेट्रो स्टेशन, फ़ोन इत्यादि पर मिल जाएंगे। अगर यकीन न हो तो कभी रात को अपने छत पर जा कर आगल-बगल नज़र घुमाएँ। जनाब ये कोई ऐलियन नहीं हैं। हमारे ग्रह के ही प्राणी हैं। यह भी हम-आप जैसे ही खाते हैं, पीते हैं, रोते हैं और गाते भी हैं। हाँ सोते थोड़ा कम हैं।
स्वीट नथिंगस् - शब्द आभार - प्रो. हेमंत जोशी

12 comments:

Unknown said...

Bhai Saheb....aapne sau pratisat sach likha hai...shayad India mein Premi - Premika ka samvad aisa hi hota hai. Kahin yeh vyaktigat anubhav to nahin???? Batayen....

Unknown said...

Hi Rajiv...main bhi IIMC mein thi aur Joshi Sir ne humen bhi Sweet Nothings ke baare mein bataya tha...kuch hudd tak sach bhi hai though have never been in love.

Unknown said...

दोस्त सच लिखा है....लड़कियाँ भेजा चाटती हैं।

Unknown said...

Aapka premi-premika Samvaad mein Premi bichara lag raha hai. Lagta hai baaten kum ho rahin hai aur flirting zyada. Iske alave bhi bahut si baaten hoti hain...jo gambheer bhi hoti hai aur sanzeeda bhi.

Unknown said...

Kya baat hai...Isn't it interesting obseravtion!

Unknown said...

क्या कैटरीना-सलमान या करीना-शाहिद भी यही बात करते होंगे???

Unknown said...

बॉस मैं अपने ब्लॉग में आपको जोड़ना चाहता हूँ. कैसे होगा? बहुत ही शानदार. व्यक्तिगत बातें भी बड़ी ढंग से लिखी गई है. लिखते रहिया. बल्कि लिखार बनिए....

Unknown said...

Kya Likha Hai....Bilkul Jhakas.....Pairs talk stupid, but then this is Love. And love is not stupuid...I Guess!

निधि said...
This comment has been removed by the author.
निधि said...

मुझे लगता है आपने प्रेमी-प्रेमिका संवाद के साथ न्याय नहीं किया है। आपने प्यार जैसे पवित्र संबंध को भी बहुत ही हल्के-फुलके ढंग से सामने रखा है। आपने जो लिखा है वैसी बातें बिल्कुल होती होंगी। लेकिन इससे अलग भी बहुत कुछ होता होगा। जिसमे संवेनदा और प्यार का पुट होता है। उम्मीद करती हूँ आप उन बातों पर भी प्रकाश डालेंगे।

Rajiv K Mishra said...

मोहतरमा...बात न्याय-अन्याय की नहीं है। न ही किसी संबंध का व्याख्या या मज़ाक उड़ाने कि कोशिश की गई है। ये तो सरल सपाट अनुभव को शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्ति दी गई है। ऐसे प्रेम जैसे पवित्र संबंध का व्याख्या मेरे बूते से बाहर की बात है। मुझे लगता कोई भी इस शब्द या उस भावना का पुर्ण व्याख्या शायद ही कर पाए। ब्लाँग ऐसे भी औपचारिकता से नहीं लिखा जाता है। इसलिए टेंशन नहीं लीजिए और इनज्वाय कीजिए....

Unknown said...

Sir....your story or reality whatever is hit here at IIT Allahabad. Half of the student of batch are aware of the word and its meaning now. Interesting very interesting.