इनकी महत्वकांक्षा तो देखिए....ये दिल्ली के कुत्ते हैं। पटना के कुत्तों को अपनी औकात पता है। कटवारिया सराय के लोकल कुत्ते हैं, ग्रेटर कैलाश या फिर वसंत कुंज के अपने ऐलीट भाईयों की तरह इन्हें होंडा सिटी या मर्सिडीज नसीब कहां। इसलिए मारूती में ही ख़ुश हैं। दरअसल दोष इनका भी नहीं है...हमनें इनके लिए ज़मीन पर जगह छोड़ा ही कहां है।
धामिन (चूहे खाने वाले सांप) के अंडे
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घर के कोने में धामिन के अंडे दिखे। ग्यारह अंडों में से शायद केवल दो ही
पूर्ण वयस्क धामिन बनेंगे। अगर उनकी औसत उम्र दस वर्ष मानी जाए, तो एक साँप
अपने जीवन म...
2 weeks ago


4 comments:
दिल्ली के हैं न!!
दिल्ली के हैं न!!
yr sympathy for dogs is really grt !!!
अरे यार कुत्तों की भी क्या गलती है वो भी सोचते हैं कि इन गाड़ियों के भीतर जो दिन भर बैठ के घुमते हैं ऊ तो हमसे भी बड़े कूकर हैं.....
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