Wednesday, June 17, 2009

वाह री किस्मत…!

इनकी महत्वकांक्षा तो देखिए....ये दिल्ली के कुत्ते हैं। पटना के कुत्तों को अपनी औकात पता है। कटवारिया सराय के लोकल कुत्ते हैं, ग्रेटर कैलाश या फिर वसंत कुंज के अपने ऐलीट भाईयों की तरह इन्हें होंडा सिटी या मर्सिडीज नसीब कहां। इसलिए मारूती में ही ख़ुश हैं। दरअसल दोष इनका भी नहीं है...हमनें इनके लिए ज़मीन पर जगह छोड़ा ही कहां है।

4 comments:

Udan Tashtari said...

दिल्ली के हैं न!!

Udan Tashtari said...

दिल्ली के हैं न!!

sushant jha said...

yr sympathy for dogs is really grt !!!

sharad said...

अरे यार कुत्तों की भी क्या गलती है वो भी सोचते हैं कि इन गाड़ियों के भीतर जो दिन भर बैठ के घुमते हैं ऊ तो हमसे भी बड़े कूकर हैं.....